जनस्वास्थ्य के लिए मील का पत्थर साबित होंगे एम्स के शोधकार्य
1 min read
*एम्स ऋषिकेश में शोध कार्यों पर आयोजित कार्यशाला में कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने की शिरकत
*संस्थान के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के तत्वावधान में हुआ कार्यशाला का आयोजन
ऋषिकेश।अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स, ऋषिकेश में दो महत्वपूर्ण शोध अध्ययनों से संबंधित कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें उत्तराखंड सरकार के स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि एम्स,ऋषिकेश उत्तराखंड में स्वास्थ्य चिकित्सा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में सततरूप से बेहतर कार्य कर रहा है।
संस्थान में कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह के मार्गदर्शन में सामुदायिक चिकित्सा विभाग की ओर से कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि सूबे के काबीना मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि यह कार्यशाला सामुदायिक स्वास्थ्य प्रणाली को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। उन्होंने कहा कि संस्थान के चिकित्सकों द्वारा जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में किए जा रहे शोध कार्यों का दूरगामी लाभ आम जनमानस को मिलेगा।
निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी एम्स प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने CPPC प्रोजेक्ट और ठिंगनेपन में कमी से जुड़े अध्ययन के निष्कर्षों को रेखांकित करते हुए बताया कि डिजिटल समाधानों एवं बहु-क्षेत्रीय प्रयासों के माध्यम से न केवल मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाया जा सकता है, बल्कि गैर-संचारी रोगों के बेहतर प्रबंधन और बच्चों में कुपोषण में कमी लाने में भी उल्लेखनीय प्रगति संभव है।
उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में आशा कार्यकत्रियों के निरंतर प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि संस्थान उनके प्रशिक्षण और सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि राज्य में गुणवत्तापूर्ण एवं सुलभ स्वास्थ्य सेवाओं को हर व्यक्ति तक पहुंचाया जा सके।
सामुदायिक चिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. वर्तिका सक्सेना ने दो महत्वपूर्ण अध्ययनों के निष्कर्ष प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि सीपीपीसी प्रोजेक्ट के तहत एक एआई-सक्षम डिजिटल उपकरण (CPPC) प्रस्तुत किया गया, जो आशा और अन्य फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को खतरे के शुरुआती लक्षणों की पहचान करने, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य तथा गैर-संचारी रोगों के बेहतर प्रबंधन और सामुदायिक स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करने में सहायक होगा।
एक अन्य अध्ययन में बताया गया कि उत्तराखंड ने 2005 में 44% से 2021 में 27% तक बच्चों में ठिंगनेपन की दर घटाकर देश का तीसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला राज्य बनने में सफलता पाई। इस उपलब्धि का श्रेय सुशासन, महिलाओं की शिक्षा, मातृ पोषण और बहु-क्षेत्रीय प्रयासों को दिया गया। यह दोनों शोध पहलें इस तथ्य को रेखांकित करती हैं कि तकनीक और सुशासन मिलकर स्वास्थ्य सेवाओं और बाल स्वास्थ्य में बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।
कार्यशाला में डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी, डीन रिसर्च प्रो. एसके हांडू, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. बी. सत्याश्री, एसएचएसआरसी के नोडल ऑफिसर डॉ. कुलदीप मार्तोलिया व एडवाइजर डॉ. तृप्ति बहुगुणा, सीनियर ट्रेड एडवाइजर हेल्थ केयर एंड लाइफ साइंस ब्रिटिश हाईकमिशन श्रीअमन चावला, डीएफआई के प्रोजेक्ट ऑफिसर रूप राय मित्रा, एल्सवियर इंडिया के चेयरमैन डॉ. शंकर कॉल, क्लिनिक सोल्यूशन एल्सवियर इंडिया के निदेशक मिस हेमा जगोटा, डॉ. निकिताश्री जायसवाल, गरिमा गुप्ता, श्रुति जैन, एम्स सामुदायिक चिकित्सा विभाग के डॉ. प्रदीप अग्रवाल, डॉ. महेंद्र सिंह, डॉ अनुभूति जोशी, डॉ. अनिकेत गौड़ आदि ने प्रतिभाग किया।