मानवीय आपातकाल में मनोचिकित्सकों की भूमिका महत्वपूर्ण
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*विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर एम्स ऋषिकेश में आयोजित हुआ जागरूकता कार्यक्रम
ऋषिकेश।विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के मनोचिकित्सा विभाग द्वारा कॉलेज ऑफ नर्सिंग के सहयोग से “मानवीय आपातकाल में मानसिक स्वास्थ्य” विषय पर जागरूकता संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. (डॉ.) मीनू सिंह के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम के तहत विशेषज्ञों ने आपदा और आपातकालीन परिस्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियों और समाधान पर विस्तार से चर्चा की।
मुख्य अतिथि प्रो. जया चतुर्वेदी, डीन (एकेडमिक), ने कहा कि आपदा के समय डॉक्टर और मरीज दोनों ही मानसिक दबाव का सामना करते हैं, ऐसे में मनोचिकित्सक आघात के बोझ को कम करने और मानसिक संतुलन बहाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मनोचिकित्सा विभाग के डॉ. विशाल धीमान ने “साइकोलॉजिकल फर्स्ट ऐड” की अवधारणा और आपदा प्रबंधन में इसकी आवश्यकता पर प्रकाश डाला। वहीं, डॉ. जितेन्द्र रोहिला ने आपदाओं के दौरान मानसिक विकारों और उनके उपचार पर जानकारी दी। डॉ. विघ्नन कप्पागनतु ने इमरजेंसी मेडिसिन की दृष्टि से मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियों को रेखांकित किया।
नर्सिंग कॉलेज के फैकल्टी सदस्यों ने भी आपदाकाल में नर्सिंग सेवाओं की भूमिका और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों पर अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम के अंत में प्रो. जया चतुर्वेदी ने विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को ट्रॉफी और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर कॉलेज ऑफ नर्सिंग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जेवियर बेल्सी सी, सह-आचार्य डॉ. मलार कोटी, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट सुश्री प्रिया सिंह, डॉ. सचिन कुमार द्विवेदी, सुश्री जी.वी. अन्नपूर्णा, डॉ. आनन्द सिंह राठौर, श्री मुकेश कुमार सहित डॉ. स्वस्तिका, डॉ. भूमा, डॉ. दिनेश चंदेला, डॉ. हर्षित एवं डॉ. आर्निका उपस्थित रहे।