“सुरक्षा, सजगता और त्वरित उपचार ही ट्रॉमा से जीवन रक्षा का आधार”
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*एम्स ऋषिकेश में विश्व आघात सप्ताह 2025 का सफल समापन
ऋषिकेश, 17 अक्टूबर।अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में 11 से 17 अक्टूबर तक मनाए गए विश्व आघात सप्ताह 2025 (World Trauma Week 2025) का शुक्रवार को सफल समापन हुआ। यह कार्यक्रम विश्व आघात दिवस (World Trauma Day) के अवसर पर आयोजित किया गया। सप्ताह भर चली गतिविधियों में ट्रॉमा केयर से जुड़ी जनजागरूकता पहलें, प्रशिक्षण सत्र, सड़क सुरक्षा अभियान एवं संगोष्ठियाँ आयोजित की गईं।
उद्देश्य एवं थीम
इस सप्ताह का उद्देश्य राज्य में ट्रॉमा संबंधी घटनाओं के प्रति जनजागरूकता बढ़ाना, सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के उपायों को प्रसारित करना तथा प्राथमिक उपचार (First Aid) और जीवनरक्षक कौशल (Life Support Skills) के प्रशिक्षण के माध्यम से आमजन को सशक्त बनाना था।
इस वर्ष की थीम “Safe Steps Save Lives” रही, जिसके अंतर्गत ट्रॉमा अवेयरनेस, फर्स्ट एड ट्रेनिंग, हेली एंबुलेंस सेवा की भूमिका और सामुदायिक सहयोग पर विशेष सत्र आयोजित किए गए।
डॉ. मधुर उनियाल ने साझा की एम्स ट्रॉमा सेंटर की सफलता गाथा
वर्ल्ड ट्रॉमा वीक 2025 के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. मधुर उनियाल ने सप्ताहभर चले कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश ट्रॉमा सेंटर ने प्री-हॉस्पिटल केयर, इन-हॉस्पिटल केयर और रिहैबिलिटेशन के तीनों चरणों में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं।
डॉ. उनियाल ने कहा कि एम्स का लक्ष्य केवल अपने परिसर तक सीमित नहीं, बल्कि संपूर्ण उत्तराखंड में ट्रॉमा केयर नेटवर्क को सुदृढ़ बनाना है ताकि हर स्तर पर समय पर उपचार और जीवन रक्षा सुनिश्चित की जा सके।
मुख्य अतिथि त्रिवेंद्र सिंह रावत का संबोधन
समापन सत्र में पूर्व मुख्यमंत्री एवं हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जैसी भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य में एम्स ऋषिकेश ट्रॉमा चिकित्सा का एक मजबूत केंद्र बनकर उभरा है।
उन्होंने बताया कि पहले गंभीर रूप से घायल मरीजों को हायर सेंटर तक ले जाना चुनौतीपूर्ण होता था, लेकिन एम्स की पहल पर शुरू हुई हेली एंबुलेंस सेवा से अब अनेक मरीजों की जान बचाई जा रही है।
सांसद रावत ने आपात सेवाओं के प्रचार-प्रसार पर बल देते हुए कहा कि सिविल सोसाइटी को भी इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने अपनी सांसद निधि से एम्स को रोगी ट्रांसपोर्ट सेवा वाहन की चाबी निदेशक प्रो. (डॉ.) मीनू सिंह को सौंपी।
निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने ट्रॉमा को बताया ‘Silent Pandemic’
एम्स की निदेशक एवं कार्यकारी सीईओ प्रो. (डॉ.) मीनू सिंह ने कहा कि एम्स ऋषिकेश का ट्रॉमा सेंटर देश के शीर्ष ट्रॉमा केंद्रों में शामिल है और एम्स दिल्ली के बाद दूसरे स्थान पर है।उन्होंने कहा कि ट्रॉमा आज एक ‘मूक महामारी’ (Silent Pandemic) का रूप ले चुका है, जिसके लिए राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप गाइडलाइन बनाकर उनका क्रियान्वयन आवश्यक है।
आयोजन टीम व सहयोगी संस्थाएँ
इस आयोजन को सफल बनाने में ट्रॉमा टीम ने पूरे समर्पण के साथ कार्य किया।
बता दे आयोजन टीम में शामिल थे — डॉ. नीरज कुमार, डॉ. रूबी कटारिया, डॉ. शांतम पोखरियाल, डॉ. आदित्य चौधरी, अखिलेश उनियाल, शशिकांत, वने पाल, सुश्री दीपिका कंडपाल, सुश्री मेघा भट्ट, दिनेश लुहार, मनोज कुमार, आदित्य सोम, अंशुल पोखरियाल, सुश्री यूनिस नमामिका, सुश्री पूजा रानी, सुश्री अनीशा, सुश्री त्रन्नुम, सुश्री उषा, सुश्री अल्का आदि सदस्य।
इंजीनियरिंग, नर्सिंग, सिक्योरिटी, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन, एनाटॉमी विभागों सहित बाहरी संस्थाएँ — वरिष्ठ नागरिक समाज कल्याण समिति ऋषिकेश, ब्लू राइडर्स ऋषिकेश, एसडीआरएफ, एनसीसी और उत्तराखंड परिवहन विभाग — ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई।
अन्य वक्ताओं के विचार व सम्मान समारोह
संकायाध्यक्ष (अकादमिक) प्रो. जया चतुर्वेदी एवं चिकित्सा अधीक्षक प्रो. बी. सत्याश्री ने कहा कि एम्स की पहल से ट्रॉमा जनजागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निरंतरता बनी रहनी चाहिए।
प्रो. कमर आजम, विभागाध्यक्ष ट्रॉमा एवं क्रिटिकल केयर, ने सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम और सामुदायिक पुनर्वास पर बल दिया।अंत में डॉ. भास्कर सरकार ने सभी अतिथियों और सहयोगी संस्थाओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।
समापन अवसर पर सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत, निदेशक प्रो. मीनू सिंह, डीन प्रो. जया चतुर्वेदी और एमएस प्रो. बी. सत्याश्री ने विश्व आघात सप्ताह के सफल आयोजन में योगदान देने वाले चिकित्सकों, नर्सिंग अधिकारियों, तकनीशियनों एवं अन्य स्टाफ को प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया।