January 22, 2025

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आरोग्य भारती की दो दिवसीय आध्यात्मिक स्वास्थ्य कार्यशाला का प्रारंभ


ऋषिकेश दिनांक 7 दिसंबर 2024 को आरोग्य भारती की दो दिवसीय आध्यात्मिक स्वास्थ्य कार्यशाला का प्रारंभ स्वामीनारायण आश्रम मुनि की रेती, ऋषिकेश में हुआ। कार्यक्रम में आरोग्य भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राकेश पंडित ने स्वास्थ्य भारती के उद्देश्य को बताया और कहा कि मेरा स्वास्थ्य मेरी उत्तरदायित्व है यदि इस भाव को लेकर हम कार्य करेंगे तो हम स्वस्थ रहेंगे, यदि हम स्वस्थ रहेंगें तो परिवार को स्वस्थ रखेंगे परिवार से ग्राम स्वस्थ होगा और पुनः राष्ट्र को स्वस्थ रखा जा सकेगा।

परिवार, पर्यावरण एवं प्रकृति सभी को स्वस्थ रखने के लिए आरोग्य भारती के द्वारा कार्य किया जा रहा है। शिवानंद आश्रम के महासचिव स्वामी अद्वैतानंद जी ने गीता में आध्यात्मिक स्वास्थ्य विषय पर बोलते हुए कहा कि हमें शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य के साथ आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए। केवल मनुष्य जीवन ही पर्याप्त नहीं है उसमें मनुष्यता भी होना चाहिए।

भगवद्गीता में कहा है कि मनुष्य बिना कार्य किये नहीं रह सकता है किंतु कार्य ऐसा होना चाहिए कि जिससे परोपकार हो सके। परोपकाराय सतां विभूतयः। फल की आशा न रखते हुए कार्य करना चाहिए। मनुष्य के जीवन में यदि सभी गुण है लेकिन मूल तत्व परोपकार का भाव नहीं है तो उसका कोई महत्व नहीं है। मनुष्य के जीवन में धन, माया, शरीर कुछ भी स्थाई नहीं है केवल व्यक्ति के अच्छे कार्यों का ही सम्मान होता है।

व्यक्ति, देवता, राक्षस या मनुष्य की श्रेणी को केवल अपने द्वारा किए गए कार्यों के स्वरूप से ही प्राप्त करता है निष्काम भाव से की गई सेवा व्यक्ति के आध्यात्मिक स्वास्थ्य को ठीक रखती है।उन्होंने कहा कि यदि व्यक्ति अपने ज्ञान को समाज को नहीं बताता है तो वह ब्रह्मराक्षस योनि को प्राप्त करता है ऐसा शास्त्र कहते हैं। नित्य पांच यज्ञ 1. देव यज्ञ 2. ऋषि यज्ञ 3. पितृ यज्ञ 4. भूत यज्ञ और 5. अतिथि यज्ञ अवश्य करना चाहिए। आध्यात्मिक स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए नित्य प्रति प्रार्थना, प्राणायाम, व्यायाम अवश्य करना चाहिए तथा प्राण शक्ति की साधना, ब्रह्मचर्य की साधना, चरित्र की साधना और वाणी की साधना को अवश्य करना चाहिए
चरित्र का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि चरित्र की साधना बहुत आवश्यक है यदि चरित्र समाप्त हो गया तो वह वापस नहीं आता।

क्रोध पर संयम रखना वाणी पर संयम रखना, कुसंग का त्याग व सत्संग का चयन करें। उच्च विचार के सिद्धांत आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बढ़ाते हैं।परोपकार करें आप भी जो भी कार्य कर रहे हैं उसमें श्रद्धा और परोपकार का भाव होना चाहिए।कार्यक्रम में आरोग्य भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राकेश पंडित, राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ अशोक वार्ष्णेय, प्रांत अध्यक्ष डॉ विनोद कुमार मित्तल प्रांत सचिव डॉ संजय त्रिपाठी, डॉ एसपी सिंह डॉ बालकृष्ण पवार डॉ दिनेश शुक्ला डॉ राहुल तिवारी डॉ विकास सूर्यवंशी डॉ रवि कौशल डॉ अरुण शर्मा के साथ पूरे उत्तर भारत क्षेत्र के 11 प्रांतों के 61 कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का संचालन ऋषिकेश आरोग्य भारती के अध्यक्ष डॉक्टर शशि कण्डवाल ने किया।

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