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पतंजलि विश्वविद्यालय में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला संपन्न

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*आपदा औषधि और प्रबंधन को मिलेगा पाठ्यक्रमों में स्थान: प्रो. साध्वी देवप्रिया

*शिक्षा में आपदा चिकित्सा व जलवायु चेतना का समावेश आवश्यक: प्रो. साध्वी देवप्रिया

*वर्ल्ड बैंक से पतंजलि के छात्रों के लिए फेलोशिप व स्कॉलरशिप की घोषणा

हरिद्वार, 13 अप्रैल। पतंजलि विश्वविद्यालय, हरिद्वार में “जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन एवं आपदा औषधि” विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का भव्य समापन समारोह संपन्न हुआ।

समापन समारोह की मुख्य अतिथि तथा पतंजलि विश्वविद्यालय की कुलानुशासिका प्रो. (डॉ.) देवप्रिया ने कहा कि, आपदाएं सार्वभौमिक सत्य हैं, किन्तु विज्ञान, तकनीक एवं वैदिक गूढ़ रहस्यों के समन्वय से इनसे उत्पन्न त्रासदियों को कम किया जा सकता है। पतंजलि विश्वविद्यालय इस दिशा में एक संगठित और भावनात्मक पहल कर रहा है।

उन्होंने यह भी घोषणा की कि विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में आपदा प्रबंधन एवं आपदा औषधि जैसे समसामयिक विषयों को सम्मिलित किया जाएगा। डॉ. देवप्रिया ने कहा कि, यदि इच्छाशक्ति, भावनात्मक प्रतिबद्धता और भारतीय ज्ञान परंपरा का समन्वय हो, तो आपदा प्रबंधन एवं जनकल्याण की राह कहीं अधिक प्रभावी और सुगम हो जाती है।

विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रो. मयंक कुमार अग्रवाल ने दो दिवसीय कार्यशाला के विभिन्न सत्रों का विवरण तथा देश-विदेश के विद्वानों द्वारा प्रस्तुत शोध पत्रों से प्राप्त महत्त्वपूर्ण संस्तुतियों को साझा किया। उन्होंने बताया कि इन निष्कर्षों और संस्तुतियों को वर्ल्ड बैंक, नीति-निर्माण संस्थानों, शासन-प्रशासन एवं प्रमुख गैर-सरकारी संगठनों को भी भेजा जाएगा, ताकि भविष्य में आपदा नीति निर्माण में इनका सार्थक उपयोग हो सके।

इस अवसर पर वर्ल्ड बैंक के भारत में प्रतिनिधि डॉ. आशुतोष मोहंती ने पतंजलि विश्वविद्यालय की इस पहल की सराहना करते हुए घोषणा कि वर्ल्ड बैंक द्वारा पतंजलि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को आपदा प्रबंधन और डिजास्टर मेडिसिन के क्षेत्र में स्कॉलरशिप, फेलोशिप, पीएचडी अनुसंधान तथा स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम में भागीदारी के अवसर प्रदान किए जाएंगे।

कार्यशाला के मुख्य संयोजक और पतंजलि विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. सत्येन्द्र मित्तल ने कार्यशाला में भाग लेने वाले देश-विदेश के वैज्ञानिकों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाली आपदाओं और उनके निराकरण हेतु भविष्य की योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

उन्होंने इस कार्यशाला की सफलता में डीआरए इंफ्राकोन, मैकाफेरी, मेगा प्लास्ट, टेक फैब तथा यूकॉस्ट जैसी संस्थाओं की भूमिका को अहम बताया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन वैश्विक आपदा चिकित्सा और प्रबंधन के क्षेत्र में भारत की संस्कृति, विज्ञान और सेवा भावना को एक मंच पर प्रस्तुत करते हुए भविष्य के लिए ठोस रणनीतियाँ तय करने की दिशा में उल्लेखनीय पहल सिद्ध हुआ।

इस कार्यशाला में स्पेन, इटली, नॉर्वे और नेपाल जैसे चार देशों के अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिकों ने सहभागिता की। वहीं पतंजलि विश्वविद्यालय में ‘डिजास्टर मेडिसिन, मैनेजमेंट एंड क्लाइमेट चेंज’ पर एक अंतरराष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस) की स्थापना की गई। इसके साथ ही इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (आईपीआर) पेटेंट सेल की भी स्थापना की गयी।

इस कार्यशाला में स्पेन विश्वविद्यालय से प्रो. रूबेन, इटली से विश्व बैंक के आपदा औषधि समूह के अध्यक्ष प्रो. रोबेर्टो मुगावेरो, नॉर्वे विश्वविद्यालय से प्रो. बी. सितौला तथा नेपाल आपदा प्रबंधन केंद्र से प्रो. बी. अधिकारी ने अपने विचार और शोध प्रस्तुत किए। वहीं देश के कोने-कोने से आए आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों ने भी अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए और आपदा प्रबंधन व उससे उत्पन्न त्रासदी को कम करने हेतु वैज्ञानिक सुझाव व संस्तुतियाँ दीं।

इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन एवं पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित भी किया गया।कार्यक्रम में पंतजलि विश्वविद्यालय के कुलसचिव आलोक कुमार सिंह, उपकुलसचिव निर्विकार, कुलानुशासक आर्षदेव , डीन अकादमी एवं रिसर्च डॉ. ऋत्विक बिसारिया, डॉ. अनुराग वार्ष्णेय, डॉ. वेदप्रिया, डॉ. साहिल सरदाना, डॉ. वी. के. सिंह , सौरभ व्यास, सतेंद्र , पीयूष रौतेला, डीके पांडे, डॉ. पीके सिंह डॉ. वीके शर्मा, प्रो. पीके सिंह, डॉ. अजय चौरसिया, डॉ. सूर्य प्रकाश, डॉ. राधिका नागरथ, डॉ. बीडी पाटनी व गणमान्य प्रमुख रूप से उपस्थित रहे ।इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय के सभी संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, सभी संकाय सदस्य और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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