उत्तराखंड देश के बहुचर्चित ओडिशा आपदा प्रबंधन मॉडल से ले प्रेरणा:अध्यक्ष अनूप नौटियाल
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●एसडीसी फाउंडेशन ने जारी की दूसरी उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस (उदास/UDAS) मंथली रिपोर्ट
●नवंबर 2022 में राज्य में आपदाओं और दुर्घटनाओं का ब्योरा दिया
देहरादून स्थित थिंक टैंक एसडीसी फाउंडेशन अब हर महीने उत्तराखंड में आने वाली प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं और दुर्घटनाओं पर रिपोर्ट जारी कर रहा है । इस क्रम मे एसडीसी की दूसरी रिपोर्ट जारी हुई है । फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल के अनुसार इस रिपोर्ट में राज्य में पूरे महीने आने वाली प्रमुख आपदाओं और दुर्घटनाओं का डॉक्यूमेंटेशन किया जा रहा है । यह रिपोर्ट राज्य में प्रमुख आपदाओं और दुर्घटनाओं को एक स्थान पर संगृहीत करने का प्रयास कर रही है । रिपोर्ट मुख्य रूप में विश्वसनीय हिन्दी और अंग्रेजी अखबारों और न्यूज़ पोर्टल्स में छपी खबरों पर आधारित है ।
*उत्तराखंड उदास नवम्बर 2022*
दूसरी रिपोर्ट में नवम्बर 2022 के महीने में राज्य में आई प्रमुख आदाओं और दुर्घटनाओं का ब्योरा दिया गया है। एसडीसी फाउंडेशन ने स्पष्ट किया है कि इस रिपोर्ट में राज्य में बड़ी दुर्घटनाओं को ही शामिल किया जा रहा है। नवम्बर महीने की रिपोर्ट बताती है कि इस महीने राज्य में बड़ी सड़क दुर्घटनाओं में 12 लोगों की मौत हुई है। उदास की अक्टूबर के महीने की रिपोर्ट में प्रदेश की चार प्रमुख आपदाओं और एक्सीडेंट्स में 74 मौत दर्ज की गई थी।
नवम्बर के महीने में एक बड़ी सड़क दुर्घटना चमोली जिले में हुई। 18 नवम्बर को जोशीमठ के पास डुमक मार्ग पर पल्ला जखोल के पास हुए इस हादसे में एक टाटा सूमो वाहन करीब 700 मीटर गहरी खाई में गिर गया। इस हादसे में 12 लोगों की मौत हुई। इस टाटा सूमो वाहन में 16 लोग सवार थे। यह संख्या इस वाहन की क्षमता से करीब दोगुनी थी। मरने वालों में दो महिलाएं भी शामिल थी।
*भूकंप के झटकों ने हिलाया*
उदास की रिपोर्ट में नवम्बर में आये भूकम्पों को प्रमुखता से दर्ज किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार 6 नवम्बर को राज्य के कई हिस्सों में भूकंप का झटका महसूस किया गया। इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.5 मैग्नीट्यूड थी और भूकम्प का केन्द्र उत्तरकाशी से 17 किमी दूर उत्तर-पूर्व में था। 9 नवम्बर को एक बार फिर राज्य में भूकम्प का झटका महसूस किया गया। इस भूकम्प की तीव्रता 4.3 मैग्नीट्यूट मापी गई। भूकम्प का केन्द्र पिथौरागढ़ में था। 12 नवम्बर को भूकंप का सबसे तेज झटका महसूस किया गया। इस भूकम्प की तीव्रता 5.4 मैग्नीट्यूड थी और भूकम्प का केन्द्र नेपाल में था।
*उत्तराखंड और आपदा प्रबंधन*
अनूप नौटियाल ने उम्मीद जताई कि उदास मंथली रिपोर्ट राजनीतिज्ञों, नीति निर्माताओं, अधिकारियों, शोधार्थियों, शैक्षिक संस्थाओं, सिविल सोसायटी आग्रेनाइजेशन और मीडिया के लोगों के लिए सहायक होगी। साथ ही दुर्घटना और आपदाओं से होने वाले नुकसान के न्यूनीकरण के लिए नीतियां बनाते समय भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।उत्तराखंड आपदाओं की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है और अपने अध्ययनों के आधार पर वैज्ञानिक यहां भूस्खलन, भूकंप आने की आशंका लगातार जताते रहे हैं। ऐसे में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में विशेष तौर पर आपदा तंत्र को मजबूत करने की सख्त जरूरत है।
उन्होंने उत्तराखंड मे पिछले 20 वर्षों से अधिक समय पर भी आपदा प्रबंधन के कमज़ोर तंत्र को लेकर और प्रदेश में सैंकड़ों आपदा ग्रसित गांवों के विस्थापन को लेकर चिंता जताई और कहा की उदास मंथली रिपोर्ट की निरंतरता से सम्भवता उत्तराखंड मे इस मुद्दे को लेकर सरकार के स्तर पर और अधिक गंभीरता देखने को मिलेगी। अनूप ने कहा की उत्तराखंड सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग को पीआरआई सदस्यों, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, गैर सरकारी संगठनों और सामुदायिक स्तर के स्वयं सेवकों, सभी सरकारी कर्मचारियों, अग्निशमन सेवाओं और पुलिस कर्मियों जैसे अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को आपदा व दुर्घटना न्यूनीकरण के प्रयासों से जोड़ने की जरूरत है, ताकि इनसे होने वाले नुकसान को कम से कम किया जा सके।
*आपदा प्रबंधन का ओडिशा मॉडल*
अनूप नौटियाल ने कहा की उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन के लिए ओडिशा मॉडल से सीख लेने की ज़रूरत है। ओडिशा मॉडल की सराहना यूनाइटेड नेशंस ने भी की हैं। आपदा जोखिम शासन को मजबूत करने, तैयारियों और परिदृश्य योजना में निवेश करने और आपदा जोखिम की अधिक समझ फैलाने पर ओडिशा मॉडल महत्वपूर्ण सबक देता है।ओडिशा मे 1999 के चक्रवात मे लगभग 10,000 लोग मारे गए और यह कभी दोहराया नहीं गया है।