एम०आई०टी० ढालवाला में एक दिवसीय सेमिनार आयोजित

♦आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत ज्ञान की देवी मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्प अर्पित कर हुई
ऋषिकेश।एम आई टी ढालवाला में “माध्यमिक शिक्षा के संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमे शहर के प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थानों के शिक्षाविदों ने प्रतिभाग किया।कार्यक्रम का शुभारंभ संस्थान निदेशक रवि जुयाल, शिक्षा विभाग की विभागाध्यक्ष डा.ज्योति जुयाल विशिष्ट अतिथि प्रो. डी. सी. गोस्वामी, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के संजय नौटियाल एवं आगंतुक अतिथियों द्वारा ज्ञान की देवी मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्प अर्पित कर किया गया।
शिक्षा विभाग के छात्रों द्वारा स्वागत समारोह में आगंतुक अतिथियों के स्वागत में विभिन्न सांस्कृतिक समूहों द्वारा सराहनीय कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दी गई, इसके उपरांत संस्थान निदेशक रवि जुयाल द्वारा सेमिनार में उपस्थित मुख्य अतिथि प्रो डी सी गोस्वामी एवं संजय नौटियाल तथा सेमिनार में उपस्थित सभी शिक्षाविदों का स्वागत कर सेमिनार के सभी सत्र एवं कार्यक्रमो की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की गई, सेमीनार के प्रथम सत्र में अजीम प्रेम जी फाउंडेशन के संजय नौटियाल द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शिक्षा संरचना में हुए बदलाव को बतलाया गया उन्होंने बताया की वर्तमान शिक्षा संरचना को 5+3+3+4 के तहत विभाजित किया गया है।
जिसमे फाउंडेशन स्तर को दो वर्गों में विभाजित किया गया है इसमें तीन वर्ष की अवधि बाल वाटिका और दो वर्ष की अवधि कक्षा एक और दो तथा कक्षा तीन चार पांच को तीन वर्ष कक्षा छह सात आठ को तीन वर्ष कक्षा नौ दस ग्यारह बारह को चार वर्ष की अवधि में बांटा गया है, उन्होंने बताया की निपुण भारत मिशन के तहत बालवाटिका से कक्षा तीन तक विषयवार लक्ष्य तय किए गए हैं जिसमे बालक को मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान देना अनिवार्य कर इस लक्ष्य को वर्ष 2027 तक प्राप्त करना निर्धारित किया गया है।
सेमीनार के द्वितीय सत्र में श्री देव सुमन विश्विधालय उत्तराखण्ड के प.ललित मोहन शर्मा ऋषिकेश परिसर में भूगोल विभाग के हेड डीन प्रो. डी सी गोस्वामी जो कि वर्तमान में श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के समन्वयक की भूमिका का भी निर्वहन कर रहे है के द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा करते हुए बताया की इस शिक्षा नीति के तहत यदि किसी दूरस्थ इलाकों के संस्थान में शिक्षकों का अभाव है तो उस संस्थान के छात्र ऑनलाइन माध्यम से भी अपना पाठ्यक्रम पूरा कर सकता है जो की उसके क्रेडिट स्कोर को पूरा करने में सहायक होगा।
प्रो गोस्वामी के द्वारा एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट के बारीक बिंदुओं को सरलता और गहनता से प्रस्तुत किया गया और बताया की अब स्नातक चार वर्ष का होगा और प्रत्येक संस्थान के लिए नैक संस्था से मूल्यांकन कराना अनिवार्य रूप से लागू होगा साथ ही प्रत्येक संस्थान प्रत्येक तीन वर्ष पर अपना स्वमूल्यांकन कर रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकेगा राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य बालको में विश्लेषणात्मक सोच विचार की क्षमता का विकास करना है और यह नीति प्रायोगिक कार्यों पर अधिक जोर देती है जिसके द्वारा बालक में व्यवहारिक अधिगम की क्षमता के विकास और बहुविषयो अर्थात बहुअनुशासनात्मक ज्ञान से विविध कौशलो की क्षमता का विकास किया जा सके।सेमीनार के तृतीय सत्र में मुख्य प्रवक्ताओं द्वारा उपस्थित प्रतिभागियों की शिक्षा नीति से संबंधित प्रश्नों और शंका का समाधान किया गया।
सेमीनार के समापन अवसर पर शिक्षा संकाय की विभागाध्यक्ष डा.ज्योति जुयाल द्वारा प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए आश्वस्त किया की एम०आई०टी० संस्थान भविष्य में भी इस तरह के शैक्षिक आयोजन करता रहेगा जिससे शिक्षा जगत और समाज लाभान्वित होता रहेगा।कार्यक्रम का संचालन सेमिनार के सयोजक अंशु यादव द्वारा किया गया। इस अवसर पर डा वी के शर्मा,डा पुरोहित, अजय तोमर,राजेश सिंह,डा रितेश जोशी, शिल्पी कुकरेजा,आशुतोष बछेती,प्रियंका देशवाल, योगेश लखेड़ा,रवि कुमार आदि उपस्थित रहे ।