दीपावली 2024 :ऋषिकेश के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य दुर्गा रामचरण दास गिरी के विचार
1 min readदीपावली का शुभ पर्व अमावस्या तिथि को ही मनाया जाता है जबकि 31 अक्टूबर 2024 को 3:55 दिन के बाद अमावस्या से लग जाएगी और यह 1 नवंबर 2024 को सांय 6:18 तक 6:30 के बाद प्रतिपाता लग जाएगी और अमावस्या युक्त प्रतिपदा को शास्त्र विष योग कहता है और विष योग में किया गया पूजा पाठ जप दान सभी चीजों का नाश करने वाला होता है।
बताया कि इस बार ज्योतिषाचार्य ने जो गणना की है वह नासा के भू केंद्रित गणना का उपयोग किया है भू केंद्रित गणना का उपयोग मिसाइल और सैटेलाइट प्रक्षेपण में किया जाता है।भारत में जो द्विपक्षीय सॉफ्टवेयर और पंचांग भूकेंद्रित गणना और दृश्यपक्ष का उपयोग कर रहे हैं और यह पश्चिमी सभ्यता है जिसकी हम नकल कर रहे हैं।
पश्चिमी सभ्यता हमारे हिंदू धर्म के व्रत त्योहार में षड्यंत्र कर रहे।धरती के केंद्र में ना तो किसी का जन्म होता है और ना ही कोई व्रत त्यौहार मनाया जाता है। जबकि व्रत त्योहार और तिथि के लिए जो गणना की जाती है वह भूमि के सतह से की जाती है।
बताया सभी से करवद्ध निवेदन है कि शास्त्र अनुसार एकता हेतु अपने परिवार समाज व राष्ट्र को सुखमय वैभवमय, ऐश्वर्यामय में हेतु 31 अक्टूबर 2024 को दीपावली का उत्सव मनाएं।
पूजा का स्थिर लग्न-सांय 4:30 से रात्रि 8:11 तक और रात्रि में 12:51 से लेकर और 3:10 तक यह स्थिर लग्न है शेष देवी देवताओं लक्ष्मी की पूजा कभी भी की जा सकती है।