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विभागीय उपलब्धियों के लिये बनाई जायेगी ठोस कार्य योजना

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●संस्कृत शिक्षा का तैयार होगा विजन डॉक्यूमेंटःडॉ0 धन सिंह रावत

● 3-4 नवम्बर को आयोजित होगा राज्य स्तरीय संस्कृत चिंतन शिविर

●सूबे में संस्कृत महोत्सवों के आयोजन का लिया गया निर्णय

देहरादून, 11 अक्टूबर 2022 सूबे में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आगामी 3 व 4 नवम्बर को राज्य स्तरीय संस्कृत चिंतन शिविर का आयोजन किया जायेगा, जिसमें देशभर से संस्कृत भाषा के विद्धान प्रतिभाग करेंगे। दो दिवसीय चिंतन शिविर का शुभारम्भ सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा किया जायेगा। वर्ष 2025 तक विभागीय उपलब्धियों के लिये अधिकारियों 10 बिन्दुओं पर ठोस कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिये गये हैं। इसके अलावा प्रदेशभर में 5 संस्कृत महोत्सवों का आयोजन कराने के निर्देश भी अधिकारियों को दिये गये हैं।

संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने आज विधानसभा स्थित कार्यालय कक्ष में संस्कृत शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक ली। जिसमें उन्होंने राज्य की द्वितीय राजभाषा संस्कृत के संवर्द्धन व व्यापक प्रचार-प्रसार के लिये विभागीय अधिकारियों को ठोस कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिये। डॉ0 रावत ने बताया कि बैठक में आगामी 3 व 4 नवम्बर 2022 को राज्य स्तरीय संस्कृत चिंतन शिविर आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।

जिसमें संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया जायेगा। उन्होंने बताया कि दो दिवसीय चिंतन शिविर का शुभारम्भ प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा किया जायेगा। जिसमें देशभर के प्रखंड विद्वान शिरकत करेंगे। डॉ0 रावत ने बताया कि राज्य स्तरीय चिंतन शिविर के आयोजन हेतु शीघ्र ही स्थान तय कर दिया जायेगा।

जिसके लिये विभागीय अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। विभागीय मंत्री ने कहा कि वर्ष 2025 तक विभागीय उपलब्धियों के लिये अधिकारियों को 10 बिन्दुओं पर ठोस कार्ययोजना बनाने के निर्देश दे दिये गये हैं, उन्होंने कहा कि जब राज्य अपना 25वां स्थापना दिवस मना रहा होगा तब विभाग के पास अपनी 10 विशेष उपलब्धियां होगी।

डॉ0 रावत ने कहा कि संस्कृत उत्तराखंड की द्वितीय राजभाषा है जिसके संवर्द्धन के लिये राज्य सरकार लगातार प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि देववाणी संस्कृत को जन-जन के मध्य प्रचारित एवं प्रसारित करने के उद्देश्य से प्रदेशभर में 5 वृहद संस्कृत महोत्सवों का आयोजन किया जायेगा, जिसके निर्देश विभागीय अधिकारियों को दे दिये गये हैं। इसके अलावा प्रत्येक जनपद में एक-एक संस्कृत ग्राम बनाने, 5 लाख लोगों को संस्कृत भाषा में दक्ष करने हेतु विशेष प्रशिक्षण दिये जाने के निर्देश भी अधिकारियों को दिये गये। विभागीय मंत्री ने कहा कि शीघ्र ही शिक्षा विभाग की तर्ज पर संस्कृत विद्यालयों को भी गोद लिया जायेगा, जिसके लिये जनप्रतिनिधियों, आश्रमों एवं सक्षम व्यक्तियों से संपर्क किया जायेगा।

बैठक में सचिव संस्कृत शिक्षा चन्द्रेश यादव, कुलपति संस्कृत विश्वविद्यालय प्रो0 दिनेश चन्द्र निदेशक एस0पी0 खाली, प्रभारी उप निदेशक पद्माकर मिश्र, सहायक निदेशक वाजश्रवा आर्य, संजू प्रसाद ध्यानी सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

 

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