श्री गुरु रविदास लीला समिति ज्वालापुर हरिद्वार द्वारा धूमधाम से मनाया 64वां वार्षिकोत्सव
1 min readहरिद्वार।श्री गुरु रविदास लीला समिति ज्वालापुर हरिद्वार कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पंडित गंगाराम पारिवारिक समाज से जुड़े सचिन भारद्वाज अध्यक्ष गुरु रविदास मंदिर हर की पौड़ी हरिद्वार विशिष्ट अतिथि अखिल भारद्वाज महामंत्री गुरु रविदास मंदिर हर की पौड़ी हरिद्वार द्वारा गुरु रविदास लीला समिति के कलाकारों की आरती वंदना कर संयुक्त रूप से उद्घाटन किया। श्री गुरु रविदास लीला समिति ज्वालापुर हरिद्वार के पदाधिकारियों एवं समाज के गणमान्य व्यक्तियों ने मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सचिन भारद्वाज अध्यक्ष गुरु रविदास मंदिर हर की पौड़ी हरिद्वार ने गुरु रविदास लीला समिति ज्वालापुर हरिद्वार के कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि रैदास की वाणी भक्ति की सच्ची भावना, समाज के व्यापक हित की कामना तथा मानव प्रेम से ओत- प्रोत होती थी. इसलिए उसका श्रोताओं के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता था।उनके भजनों तथा उपदेशों से लोगों को ऐसी शिक्षा मिलती थी, जिससे उनकी शंकाओं का सन्तोषजनक समाधान हो जाता था और लोग स्वत उनके अनुयायी बन जाते थे।
संत रविदास सामाजिक एकता पर बल देते थे।उन्होंने अपनी रचनाओं के द्वारा जातिगत भेदभाव को मिटा कर सामाजिक एकता को बढ़ाने पर बल दिया. उन्होंने मानवतावादी मूल्यों की स्थापना कर ऐसे समाज की स्थापना पर बल दिया जिसमें किसी प्रकार का भेदभाव, लोभ-लालच तथा दरिद्रता न हो।
श्री गुरु रविदास लीला समिति ज्वालापुर हरिद्वार कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अखिल भारद्वाज महामंत्री गुरु रविदास मंदिर हर की पौड़ी हरिद्वार ने गुरु रविदास लीला समिति के उद्घाटन कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि संत रैदास के जीवन की घटनाओं से समय तथा वचन के पालन संबंधी उनके गुणों का ज्ञान मिलता है। एक बार एक पर्व के अवसर पर उनके पड़ोस के लोग ‘गंगा स्नान’ के लिए जा रहे थे।संत रैदास के शिष्यों में से 1 ने उनसे चलने का आग्रह किया तो वे बोले की,” गंगा स्नान के लिए मैं अवश्य चलता किंतु एक व्यक्ति को मैंने आज ही जूते बनाकर देने का वचन दिया है और यदि आज मैं जूते नहीं दे सका तो मेरा वचन भंग हो जाएगा।
श्री गुरु रविदास लीला समिति ज्वालापुर हरिद्वार के महामंत्री योगेन्द्र पाल रवि वरिष्ठ समाजसेवी ने गुरु रविदास लीला समिति में बोलते हुए बताया कि रविदास बचपन से ही परोपकारी और दयालु स्वभाव के थे। दूसरों की सहायता करना उन्हें बहुत अच्छा लगता था। खास कर साधु-संतों की सेवा और प्रभु स्मरण में वे विशेष ध्यान लगाते थे।एक दिन संत रैदास (रविदास) अपनी कुटिया में बैठे प्रभु का स्मरण करते हुए कार्य कर रहे थे, तभी एक ब्राह्मण रैदासजी की कुटिया पर आया और उन्हें सादर वंदन करके बोला कि मैं गंगाजी स्नान करने जा रहा था, सो रास्ते में आपके दर्शन करने चला आया।रैदासजी ने कहा कि आप गंगा स्नान करने जा रहे हैं, यह एक मुद्रा है, इसे मेरी तरफ से गंगा मैया को दे देना।
ब्राह्मण जब गंगाजी पहुंचा और स्नान करके जैसे रुपया गंगा में डालने को उद्यत हुआ तो गंगा नदी में से गंगा मैया ने जल में से अपना हाथ निकालकर वह रुपया ब्राह्मण से ले लिया तथा उसके बदले ब्राह्मण को एक सोने का कंगन दे दिया।ब्राह्मण जब गंगा मैया का दिया कंगन लेकर लौट रहा था तो वह नगर के राजा से मिलने चला गया। ब्राह्मण को विचार आया कि यदि यह कंगन राजा को दे दिया जाए तो राजा बहुत प्रसन्न होगा। उसने वह कंगन राजा को भेंट कर दिया। राजा ने बहुत-सी मुद्राएं देकर उसकी झोली भर दी।
श्री गुरु रविदास लीला समिति ज्वालापुर हरिद्वार के कार्यक्रम में मुख्य रूप से संयोजक रमेश भूषण, महेंद्रपाल,योगेन्द्र पाल रवि महामंत्री, डेविड मुखिया, मेहरचंद पूर्व सभासद, विजयपाल समाजसेवी, सह संयोजक राजेंद्र पटेल, ,उप प्रधान सतीश कुमार ,मन्त्री विनोद कुमार ,गोपाल, सिंह ,कोषाध्यक्ष राजन,टेकचंद, पवन दबौडिए,विजय कुमार ,जयन्ती भूषण, कमाल सिंह,सुदर्शन मुकेश ,महिपाल, योगेश रक्षक लाम्बा आलोक कुमार आदि उपस्थित रहे।कार्यक्रम में सैकड़ों महिलाओं पुरुषों बच्चों ने भाग लिया।कार्यक्रम का सफल संचालन योगेन्द्र पाल रवि एवं राजन कुमार ने किया।