एम्स चिकित्सकों की टीम ने ट्रांसप्लान्ट प्रक्रिया से दिया मरीज को नया जीवन
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*एम्स ऋषिकेश में अब गुर्दा प्रत्यारोपण की सुविधा भी उपलब्ध
*आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकारी खर्च पर हुआ इलाज
ऋषिकेश 9 मई, 2023 एम्स ऋषिकेश में मरीजों को अब किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा भी मिल सकेगी। केन्द्र से किडनी ट्रांसप्लान्ट यूनिट के संचालन हेतु आवश्यक मंजूरी मिलने के बाद एम्स ऋषिकेश में गुर्दा प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू कर दी गयी है। हाल ही में यहां नैनीताल के एक 27 वर्षीय मरीज की किडनी प्रत्यारोपित कर उसे नया जीवन दिया गया है। यह इलाज आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकारी खर्च पर किया गया।
किसी व्यक्ति के शरीर की जब दोनों किडनियां काम करना बन्द कर देती हैं तो उसे किडनी ट्रांसप्लान्ट ( गुर्दा प्रत्यारोपण ) की आवश्यकता होती है। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में शरीर के किसी आॅर्गन ( अंग ) ट्रांसप्लान्ट तकनीक की यह प्रक्रिया अत्यन्त जटिल होती है। इस मामले में एम्स ऋषिकेश के यूरोलाॅजी, नेफ्रोलाॅजी और ऐनेस्थेसिया विभाग की संयुक्त टीम ने प्रत्यारोपण प्रक्रिया में सफलता हासिल की है। उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में एम्स ऋषिकेश लगातार नई उपलब्धियां हासिल कर रहा है।
इसी कड़ी में बीते दिनों संस्थान के विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा किडनी फेलियर समस्या से ग्रसित एक 27 वर्षीय मरीज का किडनी ट्रांसप्लान्ट कर उसे नया जीवन दिया गया। संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो0 मीनू सिंह ने गुर्दा प्रत्यारोपण करने वाले डाॅक्टरों की टीम को बधाई दी और कहा कि हमारे विशेषज्ञ चिकित्सकों के प्रयास से यह उपलब्धि हासिल हुई है।
उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में एम्स दिल्ली के डाॅक्टरों का भी सहयोग रहा। डाॅ0 मीनू सिंह ने बताया कि मरीजों का जीवन बचाने के लिए एम्स ऋषिकेश कटिबद्ध है और निकट भविष्य में लीवर ट्रांसप्लान्ट सहित अन्य बीमारियों से सम्बन्धित आॅर्गन ट्रांसप्लान्ट की सुविधा भी शुरू की जाएगी।
गुर्दा प्रत्यारोपण करने वाली टीम के सदस्य और यूरोलाॅजी विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ0 अंकुर मित्तल ने इस सम्बन्ध में बताया कि गुर्दे की विफलता की स्थिति में गुर्दा प्रत्यारोपण (किडनी ट्रांसप्लान्ट ) एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है। उन्होंने बताया कि किडनी प्रत्यारोपण करने वाली टीम के लिए यह चुनौतीपूर्ण कार्य था लेकिन टीम वर्क से यह प्रक्रिया पूर्ण तौर से सफल रही और लगभग 3 घन्टे तक चली प्रत्यारोपण प्रक्रिया के बाद मरीज को वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि मरीज अब पूर्ण तौर से स्वस्थ है और उसे शीघ्र ही अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।
टीम में शामिल नेफ्रोलाॅजी विभाग की डाॅ0 शेरोन कण्डारी ने कहा कि एम्स ऋषिकेश में पहला सफल किडनी ट्रांसप्लान्ट हुआ है। उन्होंने कहा कि हीमोडायलेसिस करवाने वाले किडनी रोगियों के लिए किडनी ट्रांसप्लान्ट की यह सुविधा किसी वरदान से कम नहीं है।
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कब पड़ती है किडनी ट्रांसप्लान्ट की जरूरत
यूरोलाॅजिस्ट डाॅ0 अंकुर मित्तल ने बताया कि किसी व्यक्ति की किडनी खराब हो जाने, किडनी के सही ढंग से काम न करने और नियमित स्तर पर डायलेसिस की जरूरत पड़ने पर किडनी ट्रांसप्लान्ट की सलाह दी जाती है। उन्होंने बताया कि डायलेसिस की प्रक्रिया से रोगी के शरीर की नसों में संक्रमण की संभावना ज्यादा होती है और बार-बार डायलेसिस करवाने से मरीज का जीवन खराब हो जाता है। ऐसे में किडनी का प्रत्यारोपण की बेहतर विकल्प है।
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टीम में ये विशेषज्ञ चिकित्सक रहे शामिल-
एम्स यूरोलाॅजी विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ0 अंकुर मित्तल, डाॅ0 विकास पंवार और डाॅ0 पीयूष गुप्ता, नेफ्रोलाॅजी विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ0 गौरव शेखर, डाॅ0 शेरोन कण्डारी और डाॅ0 संदीप सैनी, ऐनेस्थेसिया विभाग के डाॅ0 संजय अग्रवाल, डाॅ0 वाई0एस0 पयाल और डाॅ0 प्रवीन तलवार तथा एम्स दिल्ली के ट्रांसप्लान्ट विभाग के डाॅ0 वीरेन्द्र बंसल, डाॅ0 संदीप महाजन और डाॅ0 लोकेश कश्यप इस टीम में शामिल थे।
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पिता ने दी बेटे को किडनी जिस मरीज की किडनी ट्रांसप्लान्ट की गयी है वह मात्र 27 वर्ष की उम्र का है। युवक के पिता ने बेटे की जिन्दगी बचाने के लिए अपनी किडनी दान दी है। मरीज के पिता लक्ष्मण सिंह नेगी ने बताया कि उनके परिवार में 4 लोग हैं और परिवार की सामूहिक राय के बाद यह निर्णय लिया गया।